जखनियां:गर्मी के दिनों में डायरिया का प्रकोप ज्यादा बढ़ जाता है इस विषय पर जखनिया के जनरल फिजीशियन डॉ.बी.के. यादव से विशेष वार्ता हुई जिसमें उन्होंने बताया कि व्यस्कों एवं छोटे बच्चों में डायरिया एक गंभीर समस्या है।अगर समय से इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।बच्चों में डायरिया से मौत बहुतायत से देखने को मिलता है।यह मौत आंकडा़ ट्रॉपिकल क्षेत्र में प्रमुख 3 रोगों में से एक है।ट्रॉपिकल क्षेत्र वाले देशों में डायरिया ज्यादा मिलता है।डायरिया के लक्षणों में लैट्रिन का ज्यादा होने के साथ-साथ पेट में दर्द,उल्टी कमजोरी,पैरों में दर्द,चक्कर आना इत्यादि शामिल है।लैट्रिन की संख्या,प्यास पेशाब की मात्रा आंख का धंस जाना,स्किन की टरजिडिटी(स्फित) मुंह के सूखने इत्यादि के आधार पर डायरिया के स्थिति को समझा जाता है कि रोगी की स्थिति कैसी है।बच्चों में जब लैट्रिन होने लगे तो बच्चों को ओआरएस जरूर पिलाते रहना चाहिए।जिससे शरीर में पानी की कमी न होने पाए।ओआरएस ऐसे में अमृत के समान कार्य करता है। लैट्रिन ज्यादा होने पर शरीर में इलेक्ट्रोलाइट कम-अधिक हो जाते हैं जिसको ओआरएस संतुलित करता है और खतरनाक स्थिति में जाने से बचाता है।बच्चे ज्यादा लैट्रिन करने लगे और इसके साथ-साथ बुखार उल्टी एवं सुस्त होने लगे,प्यास लगने लगे आंख धंसने लगे,मुंह सूख जाए तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर को दिखाएं। यह स्थिति गंभीर होती है। इस स्थिति में बच्चे को डॉक्टर के देखरेख में रखना पड़ता है।ओआरएस डायरिया के प्रारंभिक अवस्था में बहुत ही कारगर सिद्ध होता है।किंतु की स्थिति ज्यादा खराब होने पर रोगी को डॉक्टर के देखरेख की आवश्यकता होती है।इस तरह अगर डायरिया से ग्रसित बच्चों को सही समय पर डॉक्टर को दिखा कर गंभीर अवस्था में जाने से रोका जा सकता है। एवं ऐसी गंभीर स्थिति वाले बच्चों की जान को बचाया जा सकता है।