*आजादी के दीवाने के लिए गाया गया था ‘मिर्जापुर के कईल तू गुलज़ार हो, कचौड़ी गली सून कइल बलमू’ गीत*
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*लोग इसे आशिक-माशूका का गीत मानते हैं : मंत्री रवींद्र जायसवाल*
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*’एहिं ठईयां मोतिया हेराई गईलेस हो रामा’ भी महिला क्रांतिकारी की वेदना की कहानी है : जायसवाल*
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*संगीत के कार्यक्रमों से सांस्कृतिक चेतना विकसित होती है : पूर्व सांसद राजेश कुमार मिश्र*
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*स्वर्गीया हीरा झा की जयंती पर आध्यत्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम*
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वाराणसी/मिर्जापुर । गर्मी का 40 डिग्री तापमान श्रीहनुमान जी की जयंती पर हनुमानचालीसा पाठ के आगे नतमस्तक होकर शीतल-मंद-सुंगन्ध परिधान में बाबा विश्वनाथ की नगरी के सारनाथ इलाके में झुका हुआ दिखाई पड़ा। यहां अखंड श्रीरामचरित मानस पाठ की पूर्णाहुति के बाद जब शाम का वक्त सुगम-संगीत के हवाले हुआ तब न सिर्फ संगीत की खुशबू फैली बल्कि प्रतीत हुआ कि बाबा की जटा से ज्ञान-गंगा भी निकल पड़ी हैं और गहरे शोधपरक साहित्य का नगाड़ा बज रहा है।
*नगाड़ा बजाया प्रदेश के मंत्री रवींद्र जायसवाल ने*
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शनिवार, 16 अप्रैल को पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता श्री कन्हैया झा की धर्मपत्नी स्वर्गीया हीरा झा की जयंती के अवसर पर जीवन में सुगम संगीत के लिए मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम की गाथा ग्रन्थ रामचरितमानस का पाठ शुक्रवार, 15 अप्रैल से शुरू हो गया था। पाठ की पूर्णाहुति में सारनाथ स्थित उनके आवास लोहियानगर 16/4 को पहुंचे मंत्री रवींद्र जायसवाल ने भोजपुरी गायकों का उत्साहवर्धन करने के लिए मंत्री से ज्यादा संगीतज्ञ की भूमिका में हो गए और संगीत की विभिन्न विधाओं का उल्लेख करते बोल पड़े कि मिथिला समाज के कार्यक्रम में मैथिल-गीत का गायन होना ही चाहिए। उनकी इच्छाओं को देखते हुए तत्काल गायिका ने माता सीता और राम के बहाने मैथिल दूल्हे का बड़प्पन प्रस्तुत किया।
*संगीत की काशी*
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मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा कि संगीत की विधाएं नृत्य, नाट्यकला, गायन और वादन के रूप में काशी की किसी न किसी गली में दिख जाती है। इसीलिए यहां हर फन के लोगों को अति महत्त्वपूर्ण पद्म सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने हर गीतों की पृष्ठभूमि से भी अवगत कराते हुए *’मिर्जापुर के कइल तू गुलजार हो, कचौड़ी गली सून कइल बलमू’* गीत को आजादी के आंदोलन का एक क्रान्तिगीत कहा।
*दाताराम नागर को जब ब्रिटिश हुकूमत ने अरेस्ट किया*
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मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी के ‘करो और मरो’ से देश उद्वेलित था ही। उसी बीच काशी के क्रांतिकारी दाताराम नागर को जब ब्रिटिश पुलिस अरेस्ट कर नदी मार्ग से कछवा होते मिर्जापुर ले गई तब उनकी प्रशंसिका गायिका ने यह गीत गाकर अपनी वेदना प्रकट की थी।
*एहिं ठइय्या मोतिया हेराई गईले हो रामा*
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इस गीत में भी काशी की गायिका को जब अंग्रेजों ने स्वतंत्रता सेनानियों की मदद के जुर्म में बांसफाटक से गिरफ्तार करना चाहा तब प्राणोत्सर्ग के पूर्व गायिका के मुख से यह गीत निकल पड़ा था।
*गीतों के लेखन की पृष्ठभूमि से लोग हुए अभिभूत*
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काशी के अति विशिष्ट लोगों के बीच मंत्री श्री जायसवाल द्वारा दी गई इन जानकारियों से संगीत कार्यक्रम में वैचारिकता भी छलांग लगाने लगी। श्री जायसवाल की मांग पर काशी के शीतलाघाट महात्म्य के बहाने गंगा की अभ्यर्थना भी की गई।
*पूर्व सांसद राजेश मिश्र ने सराहा कार्यक्रम को*
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इस अवसर पर उपस्थित पूर्व सांसद राजेश मिश्र ने कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों से व्यक्ति में सांस्कृतिक चेतना जागृत होती है जो जीवन पर होने वाले वाह्य आक्रमणों से रक्षा भी करती है।
कार्यक्रम में काशी के अलावा सोनभद्र, गाजीपुर, भदोही, मिर्जापुर, प्रयागराज, जौनपुर आदि जिलों से प्रशासनिक अधिकारी, PWD एवं सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अभियंता, साहित्यकार, शिक्षक, पत्रकार, संविदाकार और विविध क्षेत्रों के विशिष्ट लोग उपस्थित थे।
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*सलिल पांडेय, मिर्जापुर।*