25 लाख की आबादी,रेडियोलॉजिस्ट एक भी नहीं

मऊ। जनपद की 25 लाख की आबादी के लिए एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। जिला अस्पताल में तैनात इकलौते रेडियोलॉजिस्ट ने वीआरएस ले लिया है। जबकि अन्य सीएचसी और पीएचसी पर भी यहीं स्थिति बनी हुई है।ऐसे में मारपीट में घायल लोगों के परीक्षण से लेकर गंभीर मरीजों के इलाज तक में बाधा आ रही है। मरीज तो प्राइवेट अस्पतालों में चले जा रहे हैं लेकिन मेडिकोलीगल केसों में घायलों के एक्सरे आदि की रिपोर्ट न मिल पाने से दिक्कत हो रही है। जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के दो पद हैं। लेकिन वर्तमान में एक रेडियालोजिस्ट नहीं है।

यहां तैनात इकलौते रेडियोलाजिस्ट डा. नवीन चंद सिंह ने 31 मार्च को वीआरएस का आवेदन भेज है। हालांकि यह अभी शासन से स्वीकृत नहीं हुआ है। लेकिन उन्होंने पहली अप्रैल से ही अस्पताल आना बंद कर दिया है।

इससे मारपीट से संबंधित घायलों का मेडिकल परीक्षण नहीं हो पा रहा है। घायलों को बलिया अथवा आजमगढ़ भेजा जा रहा है, वहां भी रेडियोलाजिस्ट नहीं होने से लोग लौट रहे हैं। इसके साथ ही गंभीर रोगियों का एक्सरे और अल्ट्रासाउंड भी नहीं हो पा रहा है। खासकर गरीबों को भारी मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं।

मेडिकोलीगल केसों में घायलों का परीक्षण रिपोर्ट न मिल पाने से पुलिस को मुकदमा दर्ज करने में विलंब हो रहा है। उधर, जिला महिला अस्पताल में भी पिछले ढाई साल से रेडियोलाजिस्ट का पद रिक्त है। यहां संविदा पर तैनात रेडियोलाजिस्ट डा. गौतम की सेवा अवधि समाप्त हो जाने के बाद यह पद खाली है।

यहां इलाज के लिए आने वाली महिलाओं को प्राइवेट सेंटरों से महंगी कीमतों पर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है। जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल में रिक्त पड़े रेडियोलाजिस्ट की नियुक्ति के लिए तत्कालीन घोसी विधायक विजय राजभर ने स्वास्थ्य मंत्री, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और मुख्यमंत्री को पत्र लिखे थे। लेकिन समस्या जस की तस है। सीएमओ डॉ. सीएन दुबे ने बताया कि जिला ही नहीं बल्कि आजमगढ़ मंडल में एक भी रेडियोलाजिस्ट नहीं है। रेडियोलाजिस्ट की तैनाती के लिए शासन और महानिदेशक को कई बार पत्र लिखा जा चुका है। सरकारी अस्पतालों से अधिक वेतन प्राइवेट अस्पताल संचालक देते हैं। इसलिए रेडियोलाजिस्ट वीआरएस लेकर प्राइवेट अस्पतालों में जा रहे हैं।