

पुलिस ने इनके कब्जे से प्रतिबंधित आईएमओ एप इंस्टाल किए सात मोबाइल फोन भी बरामद किए हैं, आरोपितों की पहचान 24 वर्षीय मोहम्मद शाकिदुल, 36 वर्षीय मोहम्मद दुलाल अख्तर, 31 वर्षीय मोहम्मद अमिरुल इस्लाम, 22 वर्षीय मोहम्मद माहिर और 30 वर्षीय सद्दाम हुसैन के रूप में हुई है।
सात दिनों तक इन सभी पर रखी गई निगरानी
आरोपितों ने खुलासा किया कि एजेंटों की मदद से पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों से भारत में दाखिल हुए थे। दिल्ली पहुंचने के बाद इन्हें स्थानीय नेटवर्क ने फर्जी पते और रहने का ठिकाना मुहैया कराया। यह पूरा ऑपरेशन एक संगठित रैकेट की ओर इशारा करता है, जो न सिर्फ दिल्ली बल्कि देश की अन्य महानगरों में भी फैला हो सकता है।
पुलिस ने दी ये अहम जानकारी
उन्होंने यह भी बताया कि पहचान से बचने के लिए उन्होंने ट्रांसजेंडर का वेश धारण किया और लिंग परिवर्तन और शारीरिक बनावट बदलने के लिए मामूली सर्जरी और हार्मोनल इंजेक्शन भी लिए थे। पुलिस अधिकारी का कहना है कि सभी पांचों बांग्लादेशी को आगे की निर्वासन प्रक्रिया के लिए एफआरआआरओ, आरकेपुरम को सौंप दिया गया है।
पुलिस मामले की आगे जांच कर रही है और इन अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने के प्रयास जारी हैं। गौरतलब है कि पुलिस को अप्रैल 2025 में गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ अवैध बांग्लादेशी नागरिक ट्रांसजेंडर के रूप में वेश बदलकर और भीख मांगकर संदिग्धता से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
अन्य संदिग्धों की पहचान के लिए अभियान तेज
सात अप्रैल 2025 को विश्वसनीय सूचना मिलने पर टीम ने जहांगीरपुरी मेट्रो स्टेशन के पास सुबह तड़के जाल बिछाकर इन पांचों संदिग्धों को धर दबोचा। तलाशी के दौरान उनके पास से प्रतिबंधित आईएमओ ऐप वाले सात मोबाइल फोन बरामद हुए। पुलिस अब इनसे पूछताछ कर यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इनके साथ और भी कोई बांग्लादेशी भारत की सीमा में दाखिल हुआ है।
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या इनका संबंध किसी आतंकी या जासूसी नेटवर्क से तो नहीं है। साथ ही दिल्ली में रह रहे अन्य संदिग्ध बांग्लादेशियों की पहचान के लिए भी अभियान तेज कर दिया गया है।