बरेली
रिपोर्ट सुमित श्रीवास्तव
ई-रिक्शा और ऑटो चालकों पर लगातार बढ़ते उत्पीड़न और चालान के भारी जुर्मानों ने उनके परिवारों की रोजी-रोटी पर गहरा असर डाला है। ट्रैफिक पुलिस, आरटीओ और स्थानीय अधिकारियों द्वारा किए जा रहे दुर्व्यवहार ने इन गरीब मजदूरों को बेरोजगारी की कगार पर पहुंचा दिया है। इस मामले को लेकर आज जन सेवा ई–रिक्शा ऑटो चालक एसोशिएशन ने जिला अधिकारी को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन देकर समस्या से अवगत कराया।
ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि आए दिन उनकी गाड़ियां सीज कर दी जाती हैं, या भारी-भरकम चालान थमा दिए जाते हैं। कई मामलों में होम गार्ड्स द्वारा गाली-गलौज और मारपीट की घटनाएं भी सामने आई हैं। चालकों ने बताया कि 15,000 से 20,000 रुपये के चालान भरने की मांग गरीब परिवारों के लिए असंभव है।
सरकार की नीतियों के विपरीत कार्यवाही
जनसेवा ई-रिक्शा ऑटो चालक एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मनजीत सिंह बिट्टू का कहना है कि राज्य सरकार गरीबों के कल्याण के लिए आयुष्मान योजना जैसे लाभकारी प्रयास कर रही है। लेकिन कुछ सरकारी कर्मचारी सरकार की नीतियों के विपरीत कार्य करते हुए गरीबों को और अधिक संकट में डाल रहे हैं।
चालकों की अपील
संघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे इस गंभीर समस्या का तुरंत समाधान करें। उनका कहना है कि इन गरीब मजदूरों के परिवार भुखमरी की स्थिति में पहुंच रहे हैं। चालकों ने मांग की है कि ट्रैफिक पुलिस और अन्य अधिकारियों को उत्पीड़न रोकने के लिए निर्देशित किया जाए, ताकि वे सम्मानजनक तरीके से अपनी आजीविका कमा सकें।
क्या कहता है प्रशासन?
इस विषय पर अभी तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, चालकों की मांग है कि संबंधित अधिकारियों पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो और इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए।
यह मामला गरीब और असहाय समुदाय की आजीविका का सवाल है। अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इन समस्याओं पर क्या कदम उठाते हैं।