#Kannauj Bus Accident: बस चालक के कट गए थे हाथ-पैर, घायल यात्री बोले- अभी तक कानों में गूंज रही धमाके की आवाज#

कन्नौज जिले में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर लखनऊ से दिल्ली जा रही स्लीपर बस अनियंत्रित होकर डिवाइडर पर लगे पौधों में पानी दे रहे टैंकर से जा टकराकर पलट गई थी। हादसे में बस में सवार आठ यात्रियों की मौत हो गई, जबकि 40 से अधिक सवारियां घायल हो गईं। गंभीर रूप से घायल 19 यात्रियों को ग्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान सैफई में भर्ती कराया गया है। मामूली रूप से घायल लोगों को रोडवेज बस से दिल्ली के लिए रवाना किया गया तो कई लोग निजी वाहनों से चले गए।

शुक्रवार दोपहर एक बजे के राज कल्पना ट्रैवल्स कंपनी दिल्ली की स्लीपर बस करीब 50 यात्रियों को लेकर लखनऊ से दिल्ली जा रही थी। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर सकरावा थाना क्षेत्र के अंतर्गत किलोमीटर 141 पर मिश्राबाद गांव के सामने चालक को झपकी आने से बस अनियंत्रित होकर डिवाइडर के पौधों में पानी दे रहे यूपीडा के टैंकर से टकराकर पलट गई। हादसे के बाद बस में चीख-पुकार मच गई। आसपास मौजूद ग्रामीणों व यूपीडा की टीम ने बस में फंसे घायल यात्रियों को शीशे तोड़कर बाहर निकाला।

आठ की हो गई थी मौत, 40 हुए थे घायल
घायलों को यूपीडा व 108 एंबुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सौरिख व ग्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान सैफई भेजा गया। बस में सवार लखनऊ के बंगला बाजार अंतर्गत जे-304 आशियाना निवासी धर्मेंद्र वार्ष्णेय व उनकी पत्नी अंकुर बॉबी, लखनऊ के गोमती नगर में फ्लैट नंबर टी-9/1301 बीबीडी ग्रीन सिटी निवासी गिरीश यादव, जनपद हरदोई के थाना मल्लावां अंतर्गत ग्राम अकबरपुर निवासी राहुल कुमार, हरदोई के मल्लावां निवासी पूरन, राजस्थान के झुंझनू निवासी प्रेम सिंह, अकाल जोत सिंह तथा पौधों में पानी दे रहा कन्नौज के सौरिख थाना क्षेत्र के नगला सरदार निवासी ऋषि यादव की मौत हो गई।

आनन फानन सबको अस्पताल भेजा
उधर से गुजर रहे प्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने घायलों को अस्पताल भिजवाया। मौके पर तिर्वा विधायक कैलाश सिंह राजपूत, डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल, एसपी अमित कुमार आनंद, एसडीएम उमाकांत तिवारी, सीओ ओमकार नाथ शर्मा, सकरावा थाना प्रभारी प्रमोद तिवारी, सौरिख थाना प्रभारी जयप्रकाश शर्मा, छिबरामऊ कोतवाल अजय कुमार अवस्थी पहुंचे और घायलों को करीब 12 एंबुलेंस से सैफई व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सौरिख भिजवाया। एसपी ने बताया कि हादसे की जांच के आदेश दिए गए हैं। हादसे के बाद कुछ देर के लिए एक्सप्रेसवे पर यातायात बाधित हो गया था, जिसे खुलवा दिया गया।

मिथुन ने बताया, बस चालक के कट गए थे हाथ-पैर
लखनऊ पब्लिक स्कूल दिल्ली के अध्यापक मिथुन कुमार ने बताया कि उन्होंने बस चलने से पहले चालक के साथ बैठकर खाना खाया था। वह बस चालक के पीछे वाली तीन नंबर सीट पर बैठे थे। घटना के समय हल्का मोड़ आया जहां टैंकर पानी डाल रहा था। बस तेज रफ्तार में थी, चालक को झपकी आई और टैंकर से टकराकर बस के परखच्चे उड़ गए। भिड़ंत के दौरान आंखों के सामने अंधेरा छा गया। सिर्फ कानों में लोगों चीखपुकार सुनाई दे रही थीं। कुछ पल बाद जब आंख खोलकर देखी तो चारों तरफ खून ही खून नजर आ रहा था। किसी तरह टूटे शीशों से बाहर देखा तो चालक के दोनों पैर और एक हाथ कटकर सड़क पर पड़ा था। चालक का शव सामने लटका था। यह दृश्य देख सभी के रोंगटे खड़े हो गए।

ट्रेन का तत्काल टिकट न मिलने पर लिया था बस का सहारा
दिल्ली के मुखर्जी नगर निवासी घायल राजकपूर पुत्र विजय कपूर ने बताया कि व्यवसायिक काम से काशी गया था। लखनऊ में कई ट्रेनों में तत्काल टिकट के लिए प्रयास किया। टिकट न मिलने पर दिल्ली जाने के लिए स्लीपर बस पर बैठ गया था। चालक तेजी से बस को दौड़ा रहा था। उसकी आंख लगने के कारण हादसा हुआ। हादसे में राजकपूर के सिर व पैर के घुटने में चोट आई।

सगी बहनें हादसे में चोटिल
बिहार में चचेरे भाई की शादी में शामिल होकर लौट रही दिल्ली निवासी निधि (23) व सोनाली गुप्ता (20) लखनऊ से बस में बैठकर निकलीं थीं। रास्ते में हुए भीषण हादसे में दोनों बहनें मामूली रूप से चुटहिल हुईं। बस से सुरक्षित बाहर निकलने के बाद परिजनों को हादसे की जानकारी दी। हादसे की सूचना पर पहुंचे परिजन बस व टैंकर की हालत देखकर दोनों को सुरक्षित देख बिलख पड़े।

अभी तक कानों में गूंज रही धमाके की आवाज
लखनऊ के इंद्रानगर निवासी राशि शर्मा अपने मायके गाजियाबाद के लिए बस से निकली थीं। हादसे को याद करते हुए बदहवास राशि ने बताया कि भिड़ंत के दौरान हुई तेज धमाके की आवाज अभी भी उनके कानों में गूंज रही है। तीन बार बस पलटने के बाद साइड सेफ्टी गार्ड पर टिक गई। पलटने के कारण सवारियां एक-दूसरे के ऊपर आ गिरी और बस के खड़े होने के बाद यात्रियों में बाहर निकलने की अफरातफरी का मंजर अभी भी आंखों के सामने घूम रहा है।

फोन मत करना, मम्मी बर्दाश्त नहीं कर पाएंगी पापा की मौत का सदमा
सर, घर पर फोन मत करना, मम्मी अकेली हैं, उन्हें संभालने वाला मेरे अलावा कोई नहीं है। पापा की मौत का सदमा वह बर्दाश्त नहीं कर पाएंगी। यह बात सीएचसी सौरिख में मौजूद बदहवास हालत में बैठे गोमती नगर लखनऊ निवासी देवेंद्र यादव ने तहसीलदार अभिनव वर्मा से मिन्नत करते हुए कही। अस्पताल में अकेले बैठे देवेंद्र यादव जब भी आंखे बंद करता उसके सामने बस पलटते ही मची चीखपुकार और जान बचाने के लिए इधरउधर दुबक रहे लोगों की तस्वीर आ जाती है।