#ट्रांसपोर्ट नगर हादसा: गलत बने थे बिल्डिंग के कालम, पीडब्लूडी की जांच में आया सामने, बीम थीं कमजोर#

लोक निर्माण विभाग की टीम की ओर से रविवार को की गई ट्रांसपोर्ट नगर में ढही बिल्डिंग की गई जांच में सामने आया है कि बिल्डिंग के बीम कमजोर थे। उनकी ऊंचाई अधिक थी और चौड़ाई कम। आगे की ओर जो निर्माण बाद में किया गया उसमें बीम कालम (फ्रेम स्ट्रक्चर) बनाकर अतिरिक्त निर्माण किया गया। जांच में रिपेार्ट में यह भी साफ किया गया है कि बिल्डिंग का निर्माण स्ट्रक्चरल डिजाइन को पास कराए बिना ही किया गया। वहीं दूसरी ओर एलडीए में बिल्डिंग की स्ट्रक्चरल रिपोर्ट भी ढूंढे नहीं मिली है और वह गायब है। रिपोर्ट भी कमेटी ने उच्चाधिकारियों को भेज दी है।शनिवार को ट्रांसपोर्ट नगर में कुमकुम सिंघल की बिल्डिंग पूरी तरह ढह गई थी। बिल्डिंग क्यों ढही इसका पता नहीं चल पा रहा था। जिसको लेकर शासन और मंडलायुक्त केनिर्देश पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता भवन सीपी गुप्ता और अधीक्षण अभियंता जेपी सिंह मौकेपर निरीक्षण को गए थे। लोक निर्माण विभागा प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता सत्येंद्र नाथ भी उनके साथ थे। रविवार को टीम मौके पर गई थी और उसने जांच की थी। एलडीए अफसरों से बिल्डिंग का मानचित्र और स्ट्रक्चरल डिजाइन रिपोर्ट भी मांगी थी। जिसे एलडीए केअधिशासी अभियंता अजीत प्रताप उपलब्ध कराने का वादा किया था। एलडीए की ओर से मानचित्र तो दिया गया मगर स्ट्रक्चरल डिजाइन की रिपोर्ट नहीं दी गई। ढही बिल्डिंग के अलावा पास की क्षतिग्रस्त उस बिल्डिंग की स्ट्रक्चरल रिपोर्ट एलडीए नहीं दे पाया जिसे रविवार को सुरक्षा और स्ट्रक्चरल जांच कराए जाने का कारण बताते हुए सील किया गया है। जांच रिपोर्ट में बिल्डिंग का निर्माण स्वीकृत ड्राइग केअनुसार हुआ था या नहीं और निर्माण सामग्री की गुणवत्ता जांच उच्च तकनीकी संस्थान से कराने की संस्तुति भी की है।

जांच में रिपोर्ट में इसका भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि ढही बिल्डिंग की स्ट्रक्चरल डिजाइन की रिपोर्ट न मिलने के कारण यह तय करना पाना संभव नहीं है कि बिल्डिंग किस कारण ढही क्योंकि करीब 12-13 साल पहले बनी बिल्डिंग निर्माण कार्य पहले ग्राउंड फ्लोर तक ही था। बाद में आगे फ्रेम स्ट्रक्चर पर निर्माण किया गया। बिल्डिंग के बेसमेंट मेंं हो रहा था यह नहींंय यह स्थल पर मलवा पड़ा होने के कारण नहीं पता चल सका।

जमा ही नहीं की तो कैसे मिले रिपोर्ट
एलडीए से जुडे सूत्रों ने बताया कि एलडीए अधिशासी अभियंता ने भले ही जांच टीम को मानचित्र और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की रिपोर्ट देने का वादा किया हो मगर सच यह है कि एलडीए यह रिपोर्ट ही निर्माण कराने वाले जमा नहीं कराता है। कामचलाऊ व्यवस्था में एलडीए के पास सिर्फ मानचित्र की प्रतिलिपि और उसकी परमिट संख्या ही रिकार्ड में रहती हैं। अब बिल्डिंग ढहने के बाद जब पूरी जांच स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की रिपोर्ट पर टिकी है तो वही नहीं मिल रही है।

जांच रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु-अतिरिक्त निर्माण को लेकर जो काल बनाए गए उनकी ऊंचाई 6 मीटर और साइज 35 सेमी गुणा 35 सेमी है। ऐसे में कालम की ऊंचाई उसकी चौड़ाई की तुलना में अधिक है
– जो बिल्डिंग ढही उसके पास बनी बिल्डिंग की फाउंउेशन किस साल बनी और बिल्डिंग निर्माण किस साल मेंं हुआ यह जानकारी एलडीए के अधिशासी अभियंता ने नहींं दी।
– ढही बिल्डिंग का स्वीकृत ड्राइंग के तहत हुआ था कि नहीं और निर्माण की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए उच्च तकनीकी संस्थान से जांच कराई जाए।
-ढही बिल्डिंग का निर्माण कितने क्षेत्रफल में अनुमन्य था और कितने में किया गया गया यह मौैके पर की गई जांच में स्पष्ट नहीं हो पाया। सेट बैक निर्माण में शामिल था कि नहीं यह भी साफ नहीं हो पाया।