सुल्तानपुर- जिले में सपा ने पहली बार जीत दर्ज कराकर इतिहास रच दिया है। राष्ट्रीय सचिव भीम निषाद की आठ महीनों में बनाई जमीन पर राम भुआल निषाद की साइकिल जमकर चली है। यह बिल्कुल वैसे ही हुआ जैसा 2012 के विधानसभा चुनाव में इसौली में सपा नेता शकील अहमद की बनाई हुई जमीन पर स्व. पूर्व विधायक अबरार अहमद की साइकिल हवा भर गई थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में इसौली से सपा ने शकील अहमद को टिकट दिया था। उन्होंने दिन रात क्षेत्र में मेहनत कर पार्टी के लिए जमीन हमवार की। लेकिन अंत में आजम खान ने इस सीट से अपनी प्रतिष्ठा जोड़ दिया तो शकील अहमद का टिकट काटकर अबरार अहमद को टिकट दिया गया। उन्होंने दो बार यहां से जीत दर्ज कराया। आज भी मोदी-योगी लहर में यह सीट सपा के पास है। लोकसभा चुनाव की बात करें तो अंबेडकरनगर के सपा नेता भीम निषाद दस माह पूर्व प्रभारी के तौर पर सुल्तानपुर आए और उन्होंने यहां चुनावी जमीन तैयार करना शुरू किया। पौने दो लाख के आसपास निषाद वोटरों और दलित वोटरों में उन्होंने अपनी पैठ बनाया। मार्च माह में उन्हें टिकट मिला और 28 दिनों तक वो यहां जी जान लगाए रहे। लेकिन अंत में उनका टिकट काटकर सपा ने गोरखपुर के पूर्व मंत्री राम भुआल निषाद को टिकट दे दिया। शुरू में तो निषाद समुदाय भड़का लेकिन अंत में सब मैनेज हुआ, दलित और निषाद बड़ी संख्या में सपा की ओर आए। जिससे सपा की जीत और भाजपा की हार तय हुआ। जिले में सपा की पहली बार जीत हुई है। बात 2019 लोकसभा चुनाव से शुरू की जाए तो इस चुनाव में भाजपा ने मेनका गांधी को मैदान में उतारा।उनके सामने बसपा-सपा गठबंधन से बसपा के सिंबल पर पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू मैदान में आए। मेनका गाँधी को जहां 4,59,196 वोट मिले वही सोनू को 4,44,670 मिले। कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। राजा डॉ. संजय सिंह की जमानत जब्त हुई उन्हें 41,681 ही मत मिले। साल 2014 के चुनाव में भाजपा ने वरुण गांधी को चेहरा बनाया। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाया बाहुबली पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू और ब्लॉक प्रमुख यशभद्र सिंह मोनू ने नतीजा ये रहा कि वरुण गांधी को 4,10,348 वोट मिले और उन्होंने जीत दर्ज कराया। उन्होंने पूर्व विधायक पवन पाण्डेय जो बसपा के टिकट पर लड़ रहे थे उन्हें शिकस्त दी। पवन को 2,31,446 और तीसरे स्थान पर रहे सपा के शकील अहमद को 2,28,144 वोट मिले थे।वर्षों से हाशिये पर रही कांग्रेस ने 2009 में कृतिमान बनाया था। डॉ. संजय सिंह ने 3,00,411 वोट पाकर बसपा के पूर्व सांसद वर्तमान में इसौली से सपा विधायक मोहम्मद ताहिर खान को हराया था। ताहिर को 2,01,632 मत मिले थे। इस चुनाव में भी सपा तीसरे नंबर पर थी, पूर्व विधायक स्व. अशोक पांडे को 1,07,895 मत ही प्राप्त हुए थे। यही नहीं भाजपा 2009 में चौथे पायदान पर थी।2004 में सपा यहां दूसरे स्थान पर पहुंची थी। इस चुनाव में बसपा के मोहम्मद ताहिर खान ने 2,61,564 मत हासिल कर वर्तमान में भाजपा एमएलसी सपा प्रत्याशी शैलेंद्र प्रताप सिंह को शिकस्त दी थी। सपा को 1,59,754 वोट मिले थे। इस बार के चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन सतीश शर्मा कांग्रेस से लड़े लेकिन 1,54,245 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा यहां चौथे स्थान पर थी। इसी प्रकार 1999 के चुनाव में सपा दूसरे स्थान पर थी। बसपा के स्व. जयभद्र सिंह 1,73,558 मत पाकर सपा के राम लखन वर्मा से जीते थे। सपा को 1,58, 959 मत मिले थे। पूर्व विधायक पवन पाण्डेय निर्दलीय चुनाव लड़कर तीसरे और कांग्रेस की दीपा कौल चौथे स्थान पर थी। सपा ने जिले में 1996 में इंट्री की थी। तत्कालीन जिलाध्यक्ष स्व. कमरुज्जमा फौजी को सपा ने टिकट दिया था। 1,20,559 मत पाकर वो पूर्व आईपीएस भाजपा के डीबी राय से चुनाव हार गए थे। यह भाजपा की पहली जीत थी। 1998 के चुनाव में सपा ने रीता जोशी बहुगुणा को मैदान में उतारा, उन्हें 2,05,503 वोट मिले। उन्हें भी भाजपा के डीबी राय ने हराया था। एक साल बाद ही 1999 में चुनाव हुआ। सपा ने राम लखन वर्मा को टिकट दिया, वे 1,58,959 मत पाकर बसपा के जयभद्र सिंह से चुनाव हार गए। 1999 में पहली बार बसपा का खाता खुला।
2004 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो सपा ने शैलेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया। 1,59,754 मत पाकर वो बसपा के ताहिर खान से चुनाव हार गए थे।