#गल्ले के व्यापार में हुआ घाटा तो पति-पत्नी ने कर दी हैरतअंगेज करतूत, चार लोगों के साथ रची साजिश, और फिर…#
जिले में सक्रिय ऐसे गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है, जिसने गांव की भोली-भाली महिलाओं के समूह के नाम पर माइक्रो फाइनेंस कर्मियों की मिलीभगत से 30 लाख रुपये का लोन लिया और पूरी रकम हड़प कर फरार हो गया था।
गिरोह सरगना समेत कुल पांच सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनके कब्जे से एक कार, दो बाइकें, 60 हजार रुपये नकद तथा भारी मात्रा में कूट रचित दस्तावेज व फर्जी मुहर बरामद किए गए हैं। पुलिस को पकड़े गए अभियुक्तों की मोबाइल व लैपटॉप में करीब 30 लाख रुपये की धोखाधड़ी का डाटा मिला है।
यह है मामले की पूरी कहानी
एएसपपी दक्षिणी अभिनव त्यागी ने बताया कि विशुनपुरा थाने में इस मामले में केस दर्ज किया गया था। छानबीन में अभियुक्तों की पहचान उजागर होने के बाद साइबर थाना व विशुनपुरा थाने की संयुक्त टीम ने सुबह गगलवा पुल नहर के पास से एक महिला समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया।
इनके कब्जे से 60 हजार रुपये नकद व एक कार व दो बाइकें और कड़ी मात्रा में कूटरचित दस्तावेज बरामद किए गए हैं। पुलिस के अनुसार बरामद सामानों की कीमत लगभग 15 लाख रुपये है।
महिलाओं व कंपनियों को ऐसे ठगा
एएसपी ने बताया कि वर्ष 2021-2022 में अशोक मद्धेशिया ने पत्नी के साथ गल्ले का व्यापार शुरू किया था। इसमें भारी नुकसान उठना पड़ा। इसके बाद दंपति ने माइक्रो बैंकर्स के जरिए दुदही क्षेत्र की लगभग 32 भोली-भाली महिलाओं का समूह बनाकर लोन दिलवाया।
उन्हें लोन भरने का विश्वास दिलाकर लोन का लाखों रुपया हड़प लिया। इसके लिए इन दोनों ने आरोहण बैंक के कर्मचारी मेहताब, पडरौना में सीएचसी सेंटर चलाने वाले दीपक केसरी की मदद से महिलाओं के आधार व केवाईसी से संबंधित वोटर व आधार कार्ड आदि में टेम्परिंग कर कृष्णा पोर्टल ऐप द्वारा कूटरचित दस्तावेज तैयार किया।
महिलाओं के पति की फर्जी फोटो लगाकर एक-एक महिला के नाम से कई बार लोन के रुपये निकाले। ज्यादातर पैसा अपने गल्ले के व्यापार में घाटे की भरपाई में दे दिया। मुख्य आरोपी अशोक मद्देशिया के मोबाइल के फोन पे से लगभग 24 लाख रुपये का लेन-देन का डाटा मिला है।
आरोहण बैंक के कर्मचारी व सीएचसी सेंटर के मालिक के साथ मिलकर लैपटॉप से बरामद डाटा के आधार पर करीब 6 लाख रुपये की जालसाजी कर पैसे की धोखाधड़ी के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। अन्य माइक्रो बैंकर्स की संलिप्तता के संबंध में विवेचना प्रचलित है।
एसपी तक पहुंचा मामला, तब तेज हुई पुलिस
तीन महीने पहले दुदही निवासी गिरोह सरगना व उसकी पत्नी घर में ताला बंद कर अचानक गायब हो गए। इसके बाद माइक्रो फाइनेंस कंपनियां घरों पर मौजूद समूह की महिलाओं के पीछे पड़ गई। वसूली का दबाव बनाने लगीं।
महिलाओं ने कहा कि उन्होंने लोन नहीं लिया है तो कंपनी एजेंटों ने उन्हें कागजात दिखाए। इन पर पति की जगह दूसरों की फोटो लगी थी। इसे लेकर महिलाओं का एजेंटों से विवाद होने लगा तो दो महिलाएं बेहोश हो गईं।
इसके बाद महिलाओं ने एसपी कार्यालय पहुंच कर इसकी शिकायत की। एसपी ने विशुनपुरा पुलिस को जांच व कार्रवाई के लिए कहा मगर फाइनेंस कंपनियों के कागजात इतने उलझे थे कि पुलिस पीछे हट गई। तब एसपी ने साइबर थाने की टीम को भी सहयोग में लगाया और गिरोह का पर्दाफाश हुआ।