#UP: सांसदों-विधायकों के खिलाफ मुकदमों में अनावश्यक स्थगन नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए दिशा-निर्देश#

खंडपीठ ने कहा कि विशेष अदालतें दुर्लभ और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर मामलों को स्थगित नहीं करेंगी। खंडपीठ ने विशिष्ट निर्देश दिया कि यदि मामले की सुनवाई करने वाले मजिस्ट्रेट के किसी भी आदेश के खिलाफ सत्र अदालत के समक्ष कोई अपील या पुनरीक्षण लंबित है, तो ऐसे मामलों का विवरण मासिक रिटर्न में भी शामिल किया जाएगा और इसे भी न्यायालय की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सांसदों और विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों के त्वरित निस्तारण और माननीयों के ऐसे मामलों में अनावश्यक स्थगन नहीं दिए जाने के निर्देश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने ये कदम अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुक्रम में स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर उठाए हैं। निर्वाचित प्रतिनिधियों से जुड़े आपराधिक मामलों के शीघ्र समाधान की निगरानी और सुनिश्चित करने की जनहित याचिका इन रिडेजिग्नेटेड कोर्ट्स फॉर एमपी/एमएलए में खंडपीठ ने निर्देश दिया कि महाधिवक्ता या सरकारी वकील मामले में अदालत की सहायता करेंगे।
विशेष अदालतें करेंगी मासिक रिपोर्टिंग
पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि विशेष अदालतें सांसदों और विधायकों के खिलाफ मौत या आजीवन कारावास की सजा वाले आपराधिक मामलों को प्राथमिकता देंगी। फिर पांच साल या उससे अधिक की कैद की सजा वाले मामलों को प्राथमिकता देंगी और फिर अन्य मामलों की सुनवाई करेंगी।
कोई अनावश्यक स्थगन नहीं करना होगा पास
खंडपीठ ने कहा कि विशेष अदालतें दुर्लभ और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर मामलों को स्थगित नहीं करेंगी। खंडपीठ ने विशिष्ट निर्देश दिया कि यदि मामले की सुनवाई करने वाले मजिस्ट्रेट के किसी भी आदेश के खिलाफ सत्र अदालत के समक्ष कोई अपील या पुनरीक्षण लंबित है, तो ऐसे मामलों का विवरण मासिक रिटर्न में भी शामिल किया जाएगा और इसे भी न्यायालय की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा।
जिला जजों को प्रौद्योगिकी सहित बुनियादी ढांचा मुहैया कराने के निर्देश
उचित सुविधाओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कोर्ट ने कहा कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी सुविधा सुनिश्चित करेंगे और इसे ऐसी तकनीक अपनाने में भी सक्षम बनाएंगे जो प्रभावी कामकाज के लिए समीचीन हो।
साथ ही रजिस्ट्रार जनरल रजिस्ट्री के संबंधित अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करेंगे कि जिन मामलों में मुकदमे पर रोक लगाई गई है, रोक हटाने के लिए उन्हें उचित पीठ के समक्ष तुरंत सूचीबद्ध किया जाए। खंडपीठ ने कहा कि प्रशासनिक पक्ष से विशेष अदालतों को आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं कि उक्त जानकारी भी मासिक आधार पर अपडेट की जाएगी। खंडपीठ याचिका पर अगली सुनवाई चार जनवरी को करेगी।