#आजमगढ़ पुत्रों की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा जीवितपुत्रिका का कठिन व्रत#

जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो,ललना लाल होइहे,कुलवा के दीपक मनवा में,आस लागल हो ॥
जी हाँ
हर मां की यही कामना रहती है कि, उसके लाल यानी संतान की उम्र लंबी हो, वह अपने कुल का नाम रोशन करें और जीवन में खूब तरक्की करे. इसी कामना के साथ माताएं जितिया का व्रत रखती हैं. इसे जितिया, जिउतिया और जीवितपुत्रिका व्रत भी कहा जाता है. इस साल जितिया का व्रत माताओं ने 6 अक्टूबर को रखा . 5 अक्टूबर को जितिया के नहाय-खाय के बाद  6 अक्टूबर को माताओं ने पूरे दिन-रात निर्जला व्रत रख पूजा पाठ किया,अब वह अगले दिन 7 अक्टूबर को व्रत का पारण किया. मान्यता है कि, जितिया का व्रत रखते ने संतान दीर्घायु होती है और संतान के जीवन में आने वाली बांधाएं दूर हो जाती है। संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि, उज्जवल भविष्य और निरोगी काया के लिए हिंदू धर्म में जितिया के व्रत को महत्वपूर्ण माना गया है. शुक्रवार की भोर पुत्रवती महिलाओं ने संकल्प लेकर निराजल व्रत शुरू किया। फल-फूल, मिष्ठान्न आदि का डाल सजाया और घाटों-कुंडों और गोठों-सरोवरों के किनारे व्रती महिलाओं पहुंच गई और। समूह में बैठकर पूजन अनुष्ठान किया। माला-फूल, फल, मिष्ठान्न अर्पित करते हुए विधि- विधान से जिउतिया माई (जिवित्पुत्रिका माता) का पूजन किया। राजा जीमुतवाहन की कथा का श्रवण करते हुए अपने-अपने पुत्रों के दीर्घायुष्य के लिए भगवान से प्रार्थना की वही आजमगढ़ जनपद में भी पूजन-अर्चन का क्रम देर शाम तक चलता रहेगा। व्रती महिलाएं शनिवार को प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया सुनते हैं व्रती महिला श्री मती ममता खरवार ने इस कठिन जिवित्पुत्रिका व्रत के बारे में क्या कुछ कहा आप सुने


श्रीमती ममता खरवार

संवाददाता अमित खरवार