गाजीपुर: कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में शनिवार को रेबीज रोग से जागरूकता हेतु गोष्ठी का आयोजन किया गया था। जिसके मुख्य अतिथि मुख्य चिकित्साधिकारी अधिकारी डा.देश दीपक पाल थे। डॉ.पाल ने बताया कि रेबीज बीमारी कुत्ते व अन्य जंगली जानवरों के काटने से होती है इसका सम्पूर्ण टीकाकरण सरकारी चिकित्सा संस्थानों में निःशुल्क उपलब्ध है।उन्होंने बताया कि विश्व रेबीज दिवस के उपलक्ष्य में 25 सितम्बर से 1 अक्टूबर तक जागरूकता सप्ताह के दौरान जिले की सभी ग्राम पंचायतों में सभा आयोजित कर आमजन को रेबीज के प्रति जागरूक किया जायेगा। इसी क्रम में डॉक्टर शाहबाज अली खान ने बताया कि गर्म खून वाले जानवरों के काटने से रेबीज का खतरा बढ़ता है।अतः इन जानवरों को काटने के उपरांत घाव को साबुन पानी से घाव को धोयें। तथा नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर रेबीज का टीका लगवाना चाहिए।बताया कि सबसे पुरानी वायरल बीमारियों में से एक – रेबीज को टीके से रोका जा सकता है। यह ज़ूनोटिक रोग रेबीज से ग्रस्त जानवर के काटने या खरोंचने से फैलता है और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यदि नैदानिक लक्षण प्रकट हों तो रेबीज़ 100% घातक साबित हो सकता है। हालाँकि रेबीज़ घरेलू और जंगली दोनों जानवरों को प्रभावित कर सकता है, बिना टीकाकरण वाले घरेलू कुत्तों में लगभग 99% रेबीज़ के मामले होते हैं। 5-14 वर्ष की आयु के बच्चे इसके सबसे आम शिकार हैं। प्रति वर्ष विश्व स्तर पर कम से कम 59,000 मानव मौतें होती है।इसी क्रम में डॉक्टर मुंशीलाल पटेल ने बताया कि सबसे अधिक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों में से एक होने के नाते – रेबीज के शिकार मुख्य रूप से गरीब, हाशिए पर रहने वाले और कमजोर लोग होते हैं। सुरक्षित और प्रभावी इम्युनोग्लोबुलिन और टीकों के आविष्कार और उपलब्धता के बावजूद, कभी-कभी, उनकी पहुंच विवादास्पद होती है। इस वर्ष, 2023, विश्व रेबीज दिवस की थीम ” 1 के लिए सभी, सभी के लिए एक स्वास्थ्य” है।कार्यक्रम उपस्थित लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस मौके पर प्रशासनिक अधिकारी प्रेमचंद चौहान,राधेश्याम यादव डाटा मैनेजर समारोह अजय कुमार,इशांक श्रीवास्तव,अभिषेक कुमार रविशंकर चौरसिया,वसीम हैदर नीरज श्रीवास्तव,प्रमोद,प्रियेश सिंह,आयुष्मान भारत डीजीएम अरविंद यादव, राघवेंद्र सिंह सहित आदि लोग मौजूद रहे