स्थान—- थराली चमोली उत्तराखंड।
रिपोर्ट—- सुरेन्द्र धनेत्रा।
-आज उस वक्त बहुत ही भावुक और अश्रुपूरित माहौल उत्पन्न हो गया जब मां नंदा देवी की उत्सव डोली मंदिर गर्भगृह से बाहर आकर अपने मायका सिद्धपीठ कुरूड के लिए चलने लगी।इस समय उनके ननिहाल वालों की आंखों से जमकर आंसू बहकर उन्हें विदा कर रहे थे।
जहां एक ओर महिला और पुरुषों पर भावुकतावश देवी देवता अवतरित हो रहे थे तो वहीं नंदा देवी के मायका सिद्धपीठ कुरूड से उनको लेने के लिए आये उनके पुजारी और लोगों में खुशी थी कि अब उनकी बेटी नंदा छः महीने के लिए उनके सानिध्य में रहेगी। हालांकि अभी कुरूड गांव के लोगों को नंदा देवी के उनके गांव यानी सिद्धपीठ कुरूड मंदिर में पहुंचने में काफी समय लगेगा परंतु अब वे सभी मां नंदा के साथ साथ चलेंगे।इसकी खुशी उनके चेहरों पर साफ दिखाई दे रहे थे।
बताते चलें कि मां नंदा देवी भगवती पार्वती का ही स्वरूप है और छः महीने पहले वे अपने ससुराल कैलाश से वापस आकर अपने ननिहाल देवराडा सिद्धपीठ में प्रवास कर रही थी और अब छः महीने के लिए सिद्धपीठ कुरूड में प्रवास करने के बाद फिर अपने ससुराल शिवधाम कैलाश के लिए रवाना हो जायेगी।
उत्तराखंड का यह सबसे बड़ा हिमालयी महाकुंभ यात्रा होती है जो श्रद्धा,आस्था, अपनत्व,मिलन व बिछुडन भरे सारे लम्हों से परिपूर्ण होती हैं।