#राजकीय बाल गृह में बच्चे की पिटाई; जेल अधीक्षिका के निलंबन के बाद जांच को पहुंचे जिला जज व अधिकारी#
राजकीय बाल (शिशु) गृह में बच्ची को चप्पल से पीटने के मामले में बाल गृह अधीक्षिका पूनम पाल के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई के बाद जांच जारी है। जिला जज, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट समेत अन्य न्यायिक अधिकारी बुधवार को बाल गृह पहुंचे।
बाल गृह अधीक्षिका ने चप्पलों से पीटी थी बच्ची
बच्चे हैं तो खेलेंगे भी, शरारत भी करेंगे। अपनों के ठुकराने के चलते बाल गृह में रहने 28 बच्चे भी खुद को एक परिवार समझते हैं। चार सितंबर को बच्चे आपस में खेल रहे थे। बच्ची को लुका छिपी का खेल पसंंद है। वह अपने को बेड में बने बाक्स में बंद कर लेती थी। चार सितंबर को बच्ची के लुका छिपी के खेल से अधीक्षिका पूनम पाल खीझ गईं थीं। उन्होंने उसे बुरी तरह से पीटा था।
सीसीटीवी फुटेज किए चेक
जिला प्रोबेशन अधिकारी अजय पाल सिंह और सिटी मजिस्ट्रेट दो घंटे से अधिक समय तक रहे। उन्होंने वहां लगे सीसीटीवी के चार सितंबर के फुटेज देखे। इसमें अधीक्षिका द्वारा बच्ची की पिटाई करने की पुष्टि हुई। बच्चाें ने बताया कि बच्ची को लुका छिपी का खेल पसंद है। वह खुद को बेड में बने बक्से में बंद कर लेती थी। चार सितंबर को बच्ची ने खुद को बेड में बने बाक्स में छिपा लिया।
सहेली से बाक्स की कुंडी बाहर से बंद करा दी। इससे कोई उसे खोज न सके। अधीक्षिका बच्ची की इस शरारत से बुरी तरह खीझ गई थीं। उसकी पिटाई लगा दी। उन्होंने कुंडी लगाने वाली बालिका की भी डांट लगाई थी। कर्मचारियों ने अधिकारियों को बताया कि बच्चों के दिलों में डर बैठ गया था। उन्होंने खेलना बंद कर दिया था।
प्रयागराज का कार्यकाल रहा था विवादों के घेरे में
महिला कर्मचारियों ने अधिकारियों को बताया कि अधीक्षिका का प्रयागराज कार्यकाल भी विवादाें में रहा था। उनके रवैये से तंग आकर प्रयागराज बाल गृह में बालिका ने आत्महत्या कर ली थी। मामले में अधीक्षिका को जेल भेजा गया था। आगरा में तैनाती से पहले वह निलंबित रही थीं
आगरा बाल गृह में उनकी तैनाती के दौरान खराब रवैये की शिकायत कर्मचारियों ने दिसंबर 2022 में की थी। जांच के बाद पूनम पाल से बाल गृह का प्रभार हटाकर जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया था। यहां भी उनके कार्यकाल में बाल गृह में एक बालिका की मृत्यु हुई थी। बताया जाता है कि एक बालिका ने गले में फंदा कसने का प्रयास किया था।
ये हैं आरोप
संविदा कर्मचारियों से रुपये की मांग करती हैं। मना करने पर नौकरी से निकालने की धमकी देती हैं।
गाली-गलौज और हाथापाई की, मौखिक रूप से आदेश देकर संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दीं। संविदा कर्मचारियाें से अपने कपड़े और बर्तन धुलवाती हैं।
लापरवाही के कारण बच्चे अक्सर बीमार होते रहते हैं।