#अवैध निर्माण पर कसेगा शिकंजा#

लखनऊ,। अब विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद के इंजीनियरों की मिलीभगत से शहरों में अवैध निर्माण नहीं किया जा सकेगा।
अवैध निर्माणों पर कड़ाई से अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार ने पहली सिंतबर से ‘प्रवर्तन पोर्टल’ के माध्यम से ऐसी व्यवस्था लागू करने का निर्णय किया जिससे हर एक अवैध निर्माण की वास्तविक स्थिति पर आवास आयुक्त से लेकर प्राधिकरण उपाध्यक्ष तक नजर रख सकेंगे।
कई इंजीनियर और अधिकारी अवैध निर्माण कराने में शामिल
दरअसल, आवास मंत्री का भी दायित्व संभाल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देशों के बावजूद शहरों में धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं। अवैध निर्माण होने के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी नहीं होती। उच्च स्तर पर ऐसी शिकायतें भी पहुंची हैं कि प्राधिकरण-परिषद के कुछ इंजीनियर-अधिकारी ही अवैध निर्माण कराने में लिप्त हैं।
अवैध निर्माण पर पहले अपने स्तर से ही नोटिस देते हैं और फिर स्वार्थ की पूर्ति होने पर नोटिस फाड़ दिया जाता। ऐसे में अवैध निर्माणों पर किसी तरह का अंकुश लगने के बजाय वे शहरों में बढ़ते ही जा रहे हैं।
स्थिति यह है कि परिषद व प्राधिकरणों वाले क्षेत्रों में अब तक 2,40,219 अवैध निर्माण ही चिह्नित किए गए। गौर करने की बात यह है कि इनमें भी 2,38,712(99.37 प्रतिशत) अवैध निर्माणों के मामले में अभी तक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की ही नहीं गई है।
प्रवर्तन पोर्टल पर होंगे जियो टैग फोटो अपलोड
ऐसे में मुख्यमंत्री के कड़े रुख को देखते हुए आवास एवं शहरी नियोजन के अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने आवास आयुक्त व प्राधिकरण उपाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि पहली सितंबर से अनिवार्य रूप से ‘प्रवर्तन पोर्टल’ के माध्यम से ही पूरे विनियमित क्षेत्र में होने वाले अवैध निर्माणों के मामले में प्रवर्तन संबंधी सभी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। पोर्टल में अवैध निर्माण की जियो टैग फोटो को भी अपलोड करने की व्यवस्था भी होगी।

ऐसे में हर एक अवैध निर्माण का यूनीक नंबर होगा। अवैध निर्माण पर जारी होने वाली सभी नोटिस में यूनीक नंबर दर्ज रहेगा। यूनीक नंबर के बिना किसी नोटिस को वैध नहीं माना जाएगा। गोकर्ण ने बताया कि आवास बंधु द्वारा पोर्टल विकसित कराया गया है।

पोर्टल पर हर एक अवैध निर्माण का ब्योरा दर्ज होने पर कभी भी परिषद व प्राधिकरण के अफसर उस पर हुई कार्रवाई की स्थिति को देख सकेंगे। प्रर्वतन से जुड़े इंजीनियर किसी तरह की मानमानी नहीं कर सकेंगें