#ओपी राजभर का भाजपा में आना सुभासपा और बीजेपी दोनों के लिए फायदेमंद, क्या कहते हैं राजनीतिक समीकरण?#

भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्ष को जोर का झटका धीरे से दिया है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी एक बार फिर से एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में शामिल हो गई है। ओम प्रकाश राजभर की अगुवाई वाली सुभासपा से हाथ मिलाकर भाजपा जिले में जातीय समीकरणों के हिसाब से अन्य दलों की तुलना में आगे निकलती नजर आ रही है। ऐसे में दोनों दल इसका लाभ उठाना चाहेंगे। इसके लिए वह इस सीट से अपने-अपने चुनाव चिह्न पर लड़ने के लिए भी दावेदारी करेंगे।

भाजपा और सुभासपा ने गठबंधन के तहत गाजीपुर में वर्ष 2017 का चुनाव लड़ा था। तब सात विधानसभा सीट वाले इस जिले में गठबंधन ने पांच सीटें जीतीं थी। वहीं, पिछले विधानसभा चुनाव में यह गठबंधन टूट गया, जिसका का लाभ सपा ने उठाया।
इस चुनाव में सपा-सुभासपा के गठबंधन ने जिले की सातों सीटें फतह कर लीं। इनमें पांच सीटें सपा और दो सुभासपा झोली में गईं। जिसमें सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर खुद जहूराबाद से दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए, वहीं. जखनियां से बेदी राम चुनाव जीते।

सभी सीटों पर भाजपा दूसरे स्थान पर रही। जीत-हार के आंकड़ों पर नजर डाले तो सदर सीट में डेढ़ हजार ही था, जबकि सबसे अधिक अंतर से ओम प्रकाश राजभर 46 हजार मत से जीते थे। जबकि शेष सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों को 25-35 हजार वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, जहूराबाद में जीत-हार का आंकड़ा काफी अधिक था। ऐसे में माना जा रहा है कि सुभासपा का हर सीट पर अच्छा वोट बैंक है।

वर्ष 2014 के लोकसभा में मनोज सिन्हा जीत दर्ज कर सरकार में रेलमंत्री बने थे। बीते 2019 के चुनाव में बसपा के अफजाल अंसारी के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब अफजाल अंसारी की सदस्यता खत्म होने के कारण यह सीट रिक्त है। ऐसे में इस सीट पर भाजपा का पूरा फोकस है। वह हर हाल में पिछले चुनाव में बसपा के खाते में गई इस सीट पर जीत दर्ज करना चाहती है।

आगामी चुनाव के मद्देनजर जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के बेटे अभिनव सिन्हा की भी सक्रियता बढ़ गई है। इसी क्रम में एनडीए से ओमप्रकाश राजभर के हाथ मिलाने और सुभासपा द्वारा गाजीपुर सीट को लेकर किए जा रहे दावे से सियासी सरगर्मी तेज हो गई। वहीं, भाजपा की भी उम्मीद बढ़ गई है।

संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक 36 प्रतिशत वोटबैंक पहले से ही मानकर पार्टी चल रही थी। अब सुभासपा के साथ आने के बाद अच्छा खासा वोट बैंक मिलना तय है, जो एनडीए के लिए जीत की राह आसान करेगा।

लोकसभा में सामाजिक समीकरण

यादव-4.5 लाख

दलित-4 लाख

मुस्लिम-2 लाख

राजभर-1.5

क्षत्रिय-2 लाख

कुशवाहा-1.2

ब्राह्मण-1 लाख

वैश्य-1 लाख

बिंद-1 लाख

नोट- यह आंकड़े भाजपा द्वारा तैयार किए गए हैं।

उधर मिलाए हाथ, इधर तैयारी शुरू

ओमप्रकाश राजभर के एनडीए से हाथ मिलाने के बाद से ही सुभासपा ने गाजीपुर में अपनी तैयारी शुरू कर दी है। संगठन ने विधानसभावार बैठक की भी तिथि तय कर दी है। सुभासपा के जिलाध्यक्ष लल्लन राजभर ने बताया कि 18 जुलाई को जहुराबाद, 20 जुलाई को सैदपुर, 21 को जखनियां और जंगीपुर, 23 को सदर, 24 को मुहम्मदाबाद में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक होगी। जबकि जमानियां में अभी तिथि तय की जाएगी।

कौन होगा भाजपा जिलाध्यक्ष, जल्द घोषित होगा नाम

भाजपा के जिला कमेटी में भी फेरबदल होगा। पार्टी से जुड़े एक जिम्मेदार के मुताबिक इसी माह के अंत तक जिलाध्यक्ष के भी नाम की घोषणा हो सकती है। मौजूदा समय में भाजपा के जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह हैं, जो रिकॉर्ड तीन बार से इस पद पर हैं। हालांकि उन्होेंने भी जिलाध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की है।

इसके अलावा तीन महामंत्री प्रवीण सिंह, ओपी राय, दयाशंकर पांडेय, पूर्व महामंत्री सुनील सिंह, जिला उपाध्यक्ष अखिलेश सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष बृजेंद्र राय और पूर्व जिलाध्यक्ष मुरहू राजभर का नाम इस पद के लिए दावेदारों में प्रमुखता से लिया जा रहा है। बीते दिनों पर्यवेक्षक के रूप में आए भाजपा काशी प्रांत के महामंत्री सुशील त्रिपाठी ने चर्चा करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रदेश कमेटी को भेज दी है। ऐसे में भाजपा का अगला जिलाध्यक्ष कौन होगा को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।