भाजपा और सुभासपा के बीच हुआ गठबंधन लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की डेढ़ दर्जन से अधिक सीटों पर भाजपा की राह आसान करेगा। साथ ही प्रमुख विपक्षी दलों सपा-बसपा को झटका लगना तय माना जा रहा है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव-2024 में प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पार्टी को पिछड़े वर्ग की प्रमुख कुर्मी, राजभर, निषाद, जाट, मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा, लोधी वोट बैंक की आवश्यकता है।
कुर्मी वोट बैंक के लिए भाजपा का अपना दल (एस) से गठबंधन है। निषाद वोट बैंक के लिए निषाद पार्टी से गठबंधन है। मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा और लोधी समाज को भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती राजभर समाज का वोट बैंक हासिल करना था, जो राजभर के साथ आने से आसान हो गया है
घोसी, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, मछलीशहर, बस्ती, सलेमपुर, मिश्रिख, संतकबीर नगर, कुशीनगर, डूमरियागंज, महराजगंज, आजमगढ़, लालगंज, जौनपुर, अंबेडकर नगर, बहराइच, मिर्जापुर, देवरिया, श्रावस्ती और भदोही लोकसभा क्षेत्र में राजभर समाज के 50 हजार से डेढ़ लाख मतदाता हैं। राजभर मतदाताओं में सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर की मजबूत पकड़ है।
राजभर समाज में भाजपा, सपा, बसपा के राजभर नेताओं की तुलना में ओमप्रकाश राजभर की स्वीकार्यता ज्यादा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर एनडीए से अलग हो गए थे। लेकिन योगी सरकार में मंत्री बने हुए थे। सुभासपा ने एनडीए के खिलाफ 19 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। लोकसभा चुनाव समाप्त होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मई में ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी कर दिया था।
लोकसभा चुनाव में घोसी, आजमगढ़, गाजीपुर, जौनपुर, अंबेडकरनगर, लालगंज में भाजपा को मिली हार की वजह राजभर वोट का बंटना माना गया। विधानसभा चुनाव 2022 में सपा और सुभासपा के गठबंधन के चलते सुभासपा ने छह सीटें जीती। पूर्वांचल में आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, अंबेडकर नगर, बस्ती में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना कि सुभासपा के एनडीए में आने से भाजपा को पूर्वांचल की डेढ़ दर्जन से अधिक सीटों पर बड़ा फायदा होगा। वहीं 2019 में हारी सीटों पर अब पार्टी की राह आसान होगी।