आप को किसी भी अवैध या वैध सामान को कम खर्च पर कहीं पहुंचाना है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके लिए रोडवेज की बसों में आपको महज 70 रुपये खर्च करने होंगे। यह भी तय है कि आपके सामान की जांच भी नहीं होगी। उसमें गांजा है या वास्तव में घरेलू सामान, इससे भी जिम्मेदारों को कोई मतलब नहीं है।
बृहस्पतिवार को इसकी पड़ताल की गई तो यह पूरी तरह से सच पाया गया। महज 70 रुपये में पडरौना तक का एक गत्ता लेकर जाने को रोडवेज का परिचालक तैयार हो गया, उसने यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि पैक गत्ते में क्या है।
बृहस्पतिवार दोपहर एक 1.10 बजे के करीब। रेलवे रोडवेज बस स्टेशन पर एक लाइन से बसें खड़ी थी। इसी में से एक बस पडरौना जाने को पूरी तरह से तैयार थी। सवारी बैठे थे और परिचालक आवाज दे रहा था पडरौना…पडरौना… बस चलने वाली ही है। परिचालक के पास जाकर पूछा, भाई एक सामान पडरौना ले जाना है। तपाक से जवाब आया, रख दीजिए, 70 रुपये लगेंगे। अब क्योंकि हकीकत जाननी थी तो यह भी पूछना पड़ा, भाई कहीं यह तो नहीं बताना पड़ेगा कि इसमें क्या है।
जवाब आता है, नहीं भाई, रुपये दो, समय बर्बाद मत करो। फिर क्या, परिचालक के सीट के पास गया तो पहले से सामान भरा हुआ था, मैंने पूछा कहां रखूं। तभी उसने चालक के बगल वाली सीट के पास खड़े एक यात्री को वहां से हटा दिया, बोला जाओ, पीछे और वहीं पर सामान रखवा दिया। खैर मैंने (रिपोर्टर) तो खाली डब्बा ही रखा, लेकिन तस्कर और बदमाश ऐसी ही लापरवाही और ऊपरी कमाई के लिए सभी कायदे तोड़ने का फायदा उठा रहे हैं।
हो सकता है हादसा, मोटी कमाई का जरिया भी
अब इस सामान को ढोने में रोडवेज का सीधा नुकसान तो कुछ नहीं है, लेकिन अगर कोई बदमाश घटना करना चाहे तो उसे रोका नहीं जा सकता है। क्योंकि महज 70 रुपये से ही रोडवेज के जिम्मेदारों को मतलब है, इससे कोई लेना देना नहीं है कि उसमें रखा क्या जा रहा है। दूसरे इससे मोटी कमाई भी होती है। 70 रुपये तो कम दूरी के होते हैं। अगर, दूरी अधिक होती है तो फिर रुपये भी ज्यादा देने होते हैं।
खुद के धंधे के लिए ही फेल कर दिया गया कूरियर का सिस्टम
जानकार बताते हैं कि रोडवेज में कूरियर सिस्टम भी लागू किया गया था। कुछ साल पहले कार्गो नाम कंपनी को काम दिया गया था, तब बाकायदा सामानों की बुकिंग होती थी और तय रेट पर सामान भेजे जाते थे। बुकिंग के पहले सामानों की जांच भी होती थी। इस सिस्टम से सरकार को तो फायदा था, लेकिन अफसरों की जेब नहीं भर पाती थी। इस वजह से ही इतनी जांच पड़ताल की जाती थी कि लोग इससे दूरी बनाने लगे। फिर इसे घाटे का सौदा बताकर शासन को रिपोर्ट भेजी गई और इस सिस्टम को बंद कर अवैध धंधे का पनपा दिया गया है।
सबका हिस्सा तय…नहीं मिलने पर करते हैं कार्रवाई
रोडवेज के सूत्रों का कहना है कि अवैध कमाई को वैध बनाकर अफसर तक अपना एक सिस्टम है। अगर, बस से मेज के नीचे से आने वाली कम होती है तो फिर अफसर जाग जाते हैं और अचानक चेकिंग शुरू कर दी जाती है। लेकिन, इस दौरान भी उसी बस के चालक या परिचालक पर कार्रवाई की जाती है, जिससे मामला बिगड़ा हो।
ऐसे पकड़ा गया अवैध धंधा
दोपहर एक बजे से दो बजे के बीच रेलवे बस स्टेशन पर पड़ताल के दौरान एक व्यक्ति गत्ता में सामान लेकर पहुंचा। इस दौरान कई बसों के परिचालकों ने उस व्यक्ति को घेर लिया और पूछने लगे कि सामान कहां ले जाना है, तो व्यक्ति ने कहा पडरौना। इसके बाद पडरौना जाने वाली बस (यूपी 53 एचटी 7022) के परिचालक ने व्यक्ति से गत्ता लेकर पैसे लिए और उसे अपना मोबाइल नंबर देकर सामान को बस में रख दिया। इसी तरह पडरौना जाने वाली बस (यूपी 52 एटी 7358), देवरिया जाने वाली बस (यूपी 53 एफटी 0285), तमकुही राज जाने वाली (यूपी 53 एफटी 9290) और महाराजगंज जाने वाली (यूपी 53 एफटी 6359) बस के चालक और परिचालकों ने अवैध सामानों को बसों में रखवाते मिले।
एआरएम कार्यालय के सामने ही चलता है मोलभाव
रेलवे बस स्टेशन पर सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक महेश चंद्र के कार्यायल के सामने ही खड़ी होने वाली महराजगंज, ठूठीबारी और निचलौल की बसों के अवैध कूरियर का धंधा खुलेआम चलता है। सामानों को लाने वाले और चालकों और परिचालकों के बीच मोलभाव होता है, लेकिन एआरएम हैं कि उन्हें इसकी परवाह नहीं है।
त्योहारों के समय और फलता-फूलता है धंधा
तस्करों के लिए सामानों को ले जाने आने में सबसे अधिक सहायता रोडवेज बसों से मिलती है, क्योंकि इनकी कोई जांच नहीं होती है। वहीं त्योहारों में यह धंधा और भी फलता-फूलता है। होली-दिवाली और दशहरा आदि पर्व में बड़ी संख्या में लोग सामनों को ले जाते और ले आते हैं।
केस 1
आठ सितंबर 2019 सोनौली से गोरखपुर आ रही रोडवेज की बस में सीट के नीच से साढ़े नौ किलो चरस बरामद किया गया था, पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर पीपीगंज में चेकिंग कर ये बदामदगी की थी।
केस 2
29 नंवबर 2019 लखनऊ से गोरखपुर आ रही रोडवेज की बस में चार थैलों में 493 तोते बरामद किए गए थे, रौनाही टोल प्लाजा के पास लखनऊ की पुलिस टीम ने यह कार्रवाई की थी।
गोरखपुर डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक महेश चंद्र ने कहा कि बस में सिर्फ यात्री ही सामान ले जा सकते हैं, अगर चालक और परिचालक बिना यात्री के सामान बसों में लाद रहे हैं तो यह गलत हैं। इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।