#वेद के अंदर निहित ज्ञान सार का प्रसार सम्पूर्ण परिवेश एवं राष्ट्र में हो#

प्राच्य विद्या में निहित ज्ञान राशि को आधुनिक तकनीक से जोड़ने पर वैश्विक स्तर पर प्रसारित होगा–डॉ सुधीर एम बोबड़े।

काशी में स्थित संस्कृत,संस्कृति एवं संस्कार की सन्वाहिका है यह संस्था–प्रमुख सचिव श्री एम के अग्रवाल।

यह संस्था केन्द्रीय विश्वविद्यालय की तरफ अग्रसर है–कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी।

वेद के अंदर निहित ज्ञान सार का प्रसार सम्पूर्ण परिवेश एवं राष्ट्र में हो जिससे वैदिक संस्कृति को लोग जान सकेंगे,इसके महत्व से लाभान्वित होंगे।संस्कृत के अमूल्य धरोहर है इसकी रक्षा के लिये संस्कृति मंत्रालय सहयोग कर रही है,यहां की दुर्लभ पाण्डुलिपियो के संरक्षण का कार्य करने जा रही है।
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय,वाराणसी के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये उत्तर प्रदेश सरकार अग्रसर है,उसी के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश के मुख्यसचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र का आगमन आज दूसरी बार अपरांह 2:00 बजे सर्वांगीण निरीक्षण और भ्रमण करते हुये व्यक्त किये।
मुख्य सचिव श्री मिश्र ने कहा कि संस्कृत शास्त्र के ज्ञान राशि के पान से विद्यार्थियो में अनुशासन हो,नैतिक रूप से समाज और राष्ट्र मे अपना बोध करायें तथा यहां के अध्यापक भी अपने को अपडेट करें।विद्यार्थी को यन्त्र के रूप मे बनायें।अध्यापक एवं विद्यार्थी परस्पर तालमेल बनायें।
इस विश्वविद्यालय मे इससे पहले डेढ़ माह पूर्व आया था उस समय से आज तक बहुत कार्य हुये,सुधार हुये।
प्रारम्भ मे संग्रहालय का वस्तुस्थिति देखकर संतुष्ट हुये,पुरातत्व संग्रहालय को मुख्य भवन मे स्थापित किया जायेगा।
निरीक्षण–
मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने पुरातत्व संग्रहालय,शताब्दी भवन,मुख्य भवन,वेद भवन,श्रमण विद्या संकाय ,स्वास्थ केन्द्र,क्रीड़ा मैदान(जिमखाना) एवं विदेशी छात्रावास तथा महिला छात्रावास का निरीक्षण कर उचित दिशा निर्देश दिया।उन्होने सीवर लाईन,पानी की व्यवस्था पर सम्बंधित अधिकारियो को उचित दिशा निर्देश दिया।

अपर मुख्य सचिव कुलाधिपति डॉ सुधीर एम बोबड़े–
अपर मुख्य सचिव डॉ सुधीर एम बोबडे ने योगसधना केन्द्र में बैठक मे बताया कि यह विश्वविद्यालय प्राच्य विद्या का केन्द्र है,यहां से प्राच्य विद्या में निहित ज्ञान राशि को आधुनिक तकनिक से जोड़कर अथवा सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से वैश्विक स्तर पर प्रसारित करना चाहिये।यहां से देश को बहुत आस है,इससे विश्व गुरु बनने का सपना पूर्ण होगा।पारम्परिक ज्ञान को आधुनिक तकनिक से जोड़ने पर हमारे ज्ञान सार का प्रसार वैश्विक स्तर पर होगा इससे हमारी संस्कृति के बारे लोग जान सकेंगे।
डॉ बोबड़े ने कहा कि पिछ्ले डेढ़ माह से अनवरत यहां सभी लोग मिलकर कार्य किये जिसका परिणाम परिवर्तन के साथ हुआ।कुलसचिव ,वित्त अधिकारी की नियुक्ति यहां के लिये एक विशेष परिवर्तन का संदेश है।भारतीय संस्कृति को वैश्विक पटल पर स्थापित करने का यह लक्ष्य है जिसकी तैयारी सभी लोग मिलकर करें।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री महेंद्र कुमार अग्रवाल–

प्रदेश के प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग श्री एम के अग्रवाल ने आज पूर्वान्ह 9:30 बजे सम्पूर्ण परिसर का निरीक्षण कर बताया कि
काशी में स्थित संस्कृत,संस्कृति एवं संस्कार की सन्वाहिका यह विश्वविद्यालय देश का अति प्राचीन संस्थान है, सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा करते हुये जन- जन तक प्रवाहित कर रही है।
मुख्य भवन में संग्रहालय को विस्थापित किया जायेगा–
प्रमुख सचिव श्री अग्रवाल ने बताया कि इस संस्था के संरक्षण के लिये मा प्रधानमंत्री जी,मुख्यमन्त्री जी,मुख्य सचिव जी के दिशा निर्देशन में सम्बंधित प्रशासनिक अमला कार्य कर रहा है,ज्ञातव्य हो कि दिनांक 06 अप्रैल को मुख्यसचिव जी ने सम्पूर्ण परिसर का दौरा करके जो दिशा निर्देश दिया था उस पर अनवरत कार्य करके परिसर को सुव्यवस्थित कर दिया गया है।शेष कार्य बचे होंगे वो भी शीघ्र पूर्ण हो जायेगा, जिसमे जिला प्रशासन का पूर्ण सहयोग रहा है।शताब्दी भवन को भी प्लान के अन्तर्गत सुरम्य और सुसज्जित अतिथिगृह के रूप में परिवर्तित किया जायेगा।
16 संस्कारों की गैलरी स्थापित होगी—
इसके साथ ही पुरातत्व संग्रहालय को ऐतिहासिक मुख्य भवन में स्थानांतरित करके उच्चस्तरीय बनाने का प्रयास है,इसमे 16 संस्कारों की गैलरी भी होगी जो हमारे भारतीय संस्कृति का मूलाधार है जो सनातन धर्म संस्कृति को आगे बढाने वाली व्यवस्था है।जिसकी भारतीय ऋषियों ने अन्वेशित कर आने वाली पीढ़ी के लिये प्रतिमान के रूप मे स्थापित किया है।इसे ईंटेक के माध्यम से कार्य कराया जायेगा।
इन सबको विकसित करने से विश्वविद्यालय की आय मे अभिवृद्धि होगी।इसके संरक्षण से देश और प्रदेश के लिये गौरव की बात होगी।
पाण्डुलिपियों के संरक्षण से भारतीय ज्ञान परम्परा के ज्ञानराशि से जन- जन लाभान्वित होंगे—

यहां के दुर्लभ 95 हज़ार पाण्डुलिपियों के संरक्षण की शृंखला मे इंदिरागांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन के द्वारा प्रथम चरण में 25 हज़ार पाण्डुलिपियों का संरक्षण प्रारम्भ होने जा रहा है।इस पाण्डुलिपि के संरक्षण से डिजिटल करके वैश्विक स्तर पर भारतीय ज्ञान परम्परा के अंदर छिपे ज्ञान तत्व से लाभान्वित होंगे।इससे आय का स्रोत भी बढ़ेगा।
अध्यक्षता–
कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री जी,महामहिम कुलाधिपति,मा मुख्यमंत्री जी एवं शासन के उच्च अधिकारियो के सहयोग से आज इसे संरक्षित करने का अनवरत जो प्रयास चल रहा है इससे यह संस्था विश्वस्तरीय बन पायेगा।यह संस्था केन्द्रीय विश्वविद्यालय की तरफ अग्रसर है।
कुलसचिव श्री राकेश कुमार ने बताया कि मुख्य सचिव जी के साथ भ्रमण किया गया है उनके द्वारा दिये गये दिशा निर्देश के आलोक मे कार्य किये जायेंगे।
उपस्थित जन–
कुलाधिपति के अपर मुख्य सचिव डॉ सुधीर एम बोबड़े,प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री एम के अग्रवाल,मंडलायुक्त श्री कौशलराज शर्मा,विशेष सचिव डॉ अखिलेश मिश्र,कुलसचिव श्री राकेश कुमार,उपकुलसचिव श्री केशलाल लाल सहित अन्य अधिकारी आदि रहे।