ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर गंगा दशहरा पर विविध आयोजन होंगे। 30 मई को श्रद्धालु जहां गंगा के तट पर पुण्य की डुबकी लगाएंगे, वहीं गंगा पूजन की समितियों की ओर से मां गंगा की आरती के लिए तैयारियां कर रहे हैं। मान्यता है कि भगीरथ के तप के बाद कभी इसी तिथि पर गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं।
ज्योतिषाचार्य पं. विमल जैन ने बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 29 मई को सुबह 11:50 बजे लगेगी और 30 मई को दोपहर 1:09 बजे तक रहेगी। इस बार दशमी तिथि 30 मई को पूर्वाह्न व्यापिनी है। इसमें छह योग बन रहे हैं। दशमी तिथि, हस्त नक्षत्र गरण करण और कन्या राशि का चंद्रमा मिल रहा है।
गंगा दशहरा पर गंगा स्नान करने से 10 जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही तीन प्रकार के कायिक, चार प्रकार के वाचिक और तीन प्रकार के मानसिक दोषों का शमन होता है। गंगा सेवा निधि और गंगोत्री सेवा समिति की ओर से गंगा दशहरा पर विशेष आरती का आयोजन किया जाएगा।
निर्जला एकादशी 31 मई को
निर्जला एकादशी तिथि 31 मई को मनाई जाएगी। ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी के नाम से जानी जाती है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी के व्रत से वर्ष भर के समस्त एकादशी के व्रत का फल मिल जाता है। ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि 30 मई को दिन में 1:09 बजे लगे और 31 मई को 1:47 बजे तक रहेगी।
इस दिन निर्जल एवं निराहार रहकर भक्तिभाव के साथ पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। व्रत का पारण दूसरे दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के बाद किया जाता है।