हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के दहेज प्रताड़ना और हत्या के जुर्म के लिए उम्रकैद के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है। न्यायाधीश सबीना और सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कुल्लू निवासी कर्म चंद, उसकी पत्नी माया देवी और पुत्र संजय कुमार को हत्या का दोषी पाते हुए निचली अदालत के निर्णय को सही ठहराया था। हाईकोर्ट के इस निर्णय को माया देवी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट की ओर से पारित निर्णय पर हस्तक्षेप करने से इंकार किया है। 21 अप्रैल 2022 को हाईकोर्ट ने माया देवी, उसके पति और पुत्र को उम्रकैद की सजा को सही ठहराया था। निचली अदालत ने सभी दोषियों को उम्रकैद की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। आरोप लगाया गया था कि वर्ष 2002 में संजीव कुमार और गिरजा देवी की शादी हुई थी। इस शादी से उनकी दो बच्चे हुए थे। सारा परिवार कुल्लू जिले के जिआ गांव में रहता था। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि 1 अगस्त 2015 की रात को कर्म चंद, उसकी पत्नी माया देवी ने बहू गिरजा देवी पर मिट्टी का तेल छिड़का और आग लगा दी। इस घटना से वह बुरी तरह झुलस गई और 6 अगस्त 2015 को उसकी मौत हो गई। अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और मामले की छानबीन के बाद निचली अदालत में अभियोग चलाया। निचली अदालत ने कर्म चंद, उसकी पत्नी माया देवी और पुत्र संजय कुमार को हत्या का दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस निर्णय को सभी दोषियों ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।