#हाईकोर्ट ने दी राहत: मौत के बाद दामन से धुला 15 साल पुराना दाग, किशोरी का यौन उत्पीड़न करने का है मामला#
यौन उत्पीड़न के मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए व्यक्ति की मौत के बाद ही सही लेकिन उसके दामन पर लगा दाग धुल गया। यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी करार देने के निचली अदालत के निर्णय को रद्द करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि गवाहों के बयान दर्ज करने और बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में सुनवाई करते समय प्रत्येक न्यायाधीश के पास संवेदनशील दिल के साथ सतर्क दिमाग भी होना चाहिए।
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार व प्रशासन न्यायधीशों को आवश्यक और आधुनिक बुनियादी ढांचा तो प्रदान कर सकते हैं, लेकिन संवेदनशील दिल नहीं दे सकता है। एक न्यायाधीश को स्वयं एक संवेदनशील हृदय विकसित करना होगा, ताकि यौन उत्पीड़न के दौरान बयान दर्ज करते समय दिमाग सतर्क हो जिससे मुकदमे को एक दिशा में न मोड़ा जा सके।
अदालत ने कहा कि शीर्ष अदालत के कई निर्णय के तहत यौन उत्पीड़न के मामले में बच्चों की गवाही को रिकार्ड करने के दौरान बरती जाने वाली संवेदनशीलता को लेकर न्यायाधीशों की कई वर्कशाप हुई है।
अपीलकर्ता संजीव कुमार ने निचली अदालत के निर्णय को चुनौती दी थी। हालांकि, 15 मई 2021 में उनकी मृत्यु हो गई थी, लेकिन अदालत ने मामले की सुनवाई जारी रखी थी। संजीव पर वर्ष 2008 में एक 12 वर्षीय किशोरी का अपहरण कर दुष्कर्म करने का आराेप था और निचली अदालत ने सितंबर 2010 में पीड़िता के बयान के आधार पर संजीव व एक अन्य को दुष्कर्म व अन्य धाराओं के तहत दोषी करार देते हुए दस साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।
हालांकि, न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि पीड़िता ने यौन उत्पीड़न को लेकर कई विरोधाभासी बयान दिए थे। अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता के खिलाफ अभियोजन द्वारा पेश की गई सामग्री उसे दोषी करार देने के लिए पर्याप्त नहीं है और वह मामले को संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा है।
यह है मामला
आरोप है कि पीड़िता अपने माता-पिता के साथ 24 अप्रैल 2008 को राजस्थान के मेंहदीपुर बालाजी से दिल्ली के नांगली पुना स्थित हनुमान मंदिर दर्शन के लिए आई थी। इस दौरान उसके माता-पिता मंदिर में दर्शन के लिए गए और वह मंदिर के बाहर सामान की रखवाली कर रही थी।
इसी बीच में कार सवार दो लोग वहां आए और कार चालक ने उसे कार में घसीट लिया और बगल की सीट में बैठे अपीलकर्ता ने उसका यौन उत्पीड़न किया व दो घंटे के बाद मंदिर के बाहर किशोरी को छोड़ दिया। किशोरी के पिता की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर संजीव व नरेश को गिरफ्तार किया था।